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Chardham Yatra 2024: यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने की तैयारी…लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं, जानें जरूरी सलाह

चारधाम यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए प्रदेश सरकार तैयारियों में जुटी है, लेकिन यात्रा की राह में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम, भूस्खलन और पर्यावरण संरक्षण, सुरक्षित यातायात जैसी कई चुनौतियां भी हैं।

इन चुनौतियों से पार पाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यात्रा तैयारियों पर पूरी नजर है। विभागीय उच्च अधिकारियों से यात्रा के दौरान व्यवस्थाओं का फीडबैक लेकर लगातार दिशा निर्देश दे रहे हैं। चारधाम यात्रा राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यात्रा पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर से लाखों परिवारों की आजीविका टिकी है।

10 मई को केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी, जबकि 12 मई को बदरीनाथ धाम खुलेंगे। प्रदेश सरकार ने सुगम, सुरक्षित और व्यवस्थित यात्रा की व्यापक तैयारियां की हैं। पिछले कुछ सालों से चारधाम यात्रा श्रद्धालुओं की संख्या में नया रिकॉर्ड बना रही है।

वर्ष 2022 में 46 लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर पहुंचे, जबकि बीते वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 56 लाख से अधिक पहुंच गया। घोड़ा-खच्चर, डंडी कंडी, महिला सहायता समूहों, हेली सेवाओं, होटल रेस्टोरेंट, स्थानीय कारोबारियों को यात्रा से अच्छी आय हुई।

शुरुआती 15 दिन वीआईपी दर्शन पर रोक

यात्रा के शुरुआत में धामों में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए यात्रा के पहले 15 दिन वीआईपी दर्शन पर रोक लगाई गई है। सरकार ने सभी राज्यों से अनुरोध किया कि यात्रा के शुरुआती 15 दिनों में चारधाम यात्रा खासकर केदारनाथ में वीवीआईपी दर्शनों को टाला जाए।

महिलाओं को एक करोड़ के प्रसाद बिक्री की उम्मीद

यात्राकाल में चौलाई के प्रसाद की भारी मांग रहती है। केदारघाटी में बड़ी संख्या में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं प्रसाद तैयार करती हैं। इस वर्ष महिलाओं को एक करोड़ का प्रसाद बिकने की उम्मीद है। बीते वर्ष महिलाओं ने चौलाई से तैयार करीब 67 लाख रुपये के प्रसाद की बिक्री कर नया कीर्तिमान बनाया था। यही नहीं, इससे गांवों में चौलाई की खेती कर रहे काश्तकारों को भी लाभ मिला है। रुद्रप्रयाग जिले में ही 808 काश्तकारों से 753 क्विंटल चौलाई की खरीद महिलाओं ने की।

 

घोड़ा-खच्चर संचालकों का भी बढ़ेगा कारोबार

यात्रियों के भारी उत्साह को देखते हुए इस बार घोड़ा-खच्चर संचालकों का कारोबार भी बढ़ने की उम्मीद है। वर्ष 2023 में 205 दिन तक चली केदारनाथ यात्रा में घोड़ा-खच्चर संचालकों ने 125 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया था। इससे जिला पंचायत को भी तीन करोड़ रुपये का राजस्व मिला है।

 

टेंट लगाकर कमाए 50 करोड़ रुपये

गढ़वाल मंडल विकास निगम को संजीवनी देने का काम भी यात्रा ने किया है। पिछले यात्राकाल में निगम ने केदारनाथ यात्रियों के प्रवास के लिए धाम में टेंट लगाकर 50 करोड़ रुपये से अधिक कमाए हैं। यात्रा मार्ग पर स्थित निगम के पर्यटक आवास गृहों से भी अच्छा व्यवसाय मिला है।

 

यात्रा पर जाने के लिए जरूरी सलाह

  • चारों धाम हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं, ऑक्सीजन लेबल भी कम होता है, इसलिए स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही कदम बढ़ाएं।
  • सरकार की ओर से भी स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की गई है। ब्लड प्रेशर, शुगर और हृदय रोग से पीड़ित लोग ज्यादा सावधानी बरतें। डॉक्टरी परामर्श के बाद ही यात्रा पर जाने का फैसला करें।
  • यात्रा के दौरान जरूरी जीवन रक्षक दवाइयां साथ लेकर जाएं। जुकाम बुखार, सिरदर्द आदि की दवाइयां भी साथ में रखें।
  • यात्रा मार्ग में खानपान का खास ध्यान रखें। ताजे भोजन का सेवन करें।
  • उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम पल-पल बदलता है। इसलिए ऊनी वस्त्र, कंबल, वाटरप्रूफ बिस्तर, बरसाती, छाता, टार्च आदि आवश्यक साथ में रखें।

 

चारधाम यात्रा की चुनौतियां

चारधाम यात्रा में मौसम सबसे बड़ी चुनौती है। मौसम खराब होने पर यात्रा रोकनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना बड़ी चुनौती होता है। यात्रियों की संख्या बढ़ने से अब सरकार को व्यापक इंतजाम करने पड़े हैं।

बारिश होने पर यात्रा रूट पर भूस्खलन जोन रोड़ा बनते हैं। यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ यात्रा मार्ग में सरकार और बीआरओ के प्रयासों के बावजूद कई भूस्खलन जोन मुसीबत बने हुए हैं। हालांकि, बारिश होने पर यहां सरकार सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर यात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य को भेजती है।

हिमालय क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में मानव गतिविधियां बढ़ने से यहां पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है। इस बार हालांकि प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं, लेकिन फिर भी यहां पर्यावरण को बनाए रखना बड़ी चुनौती है।

प्रदेश में सड़क सुरक्षा को लेकर लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। पर्वतीय जिलों में कई स्थानों पर क्रैश बैरियर नहीं होने से दुर्घटना का खतरा बना रहता है। मार्गों के संकरा व घुमावदार होने से कई बार चालक वाहन से नियंत्रण खो बैठते हैं। इसे देखते हुए क्रैश बैरियर लगाए जा रहे हैं।

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