
- राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद उत्तराखण्ड में ऐतिहासिक कानून बना यूसीसी
- यूसीसी लाने वाला उत्तराखण्ड बना आजाद भारत का पहला राज्य
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों को जाता है पूरा श्रेय
देहरादून। ऐतिहासिक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद उत्तराखण्ड में यूसीसी का कानून लागू हो जाएगा। इसका सीधा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों को जाता है। उत्तराखण्ड यूसीसी कानून को लाने वाला आजाद भारत का पहला राज्य बन गया है।
वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखण्ड में भाजपा ने वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर इतिहास रचा था। अपनी चुनावी घोषणा के मुताबिक, मुख्यमंत्री धामी यूसीसी को लेकर सरकार गठन के पहले दिन से ही गंभीर थे। मुख्यमंत्री धामी ने मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी के गठन को मंजूरी दे दी थी। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद 7 फरवरी 2024 को उत्तराखण्ड विधानसभा में यूसीसी विधेयक पास हुआ। उसके बाद विधेयक को राजभवन भेजा गया था। राजभवन ने इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था। यूसीसी को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही एक बड़ा इतिहास बन गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार के नेतृत्व में यह एक बड़ी उपलब्धि है।
- यूसीसी से यह होंगे फायदे
यूसीसी से सभी नागरिकों के लिए चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या लिंग के हों, एक समान कानून लागू होगा। विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा। समान नागरिक संहिता लागू होने से समाज में समानता और सामाजिक न्याय की अवधारणा मजबूत होगी। यूसीसी से सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून मान्य होगा। विभिन्न समुदायों में लंबे कालखंड से चले आ रहे व्यक्तिगत कानून जिससे अक्सर लैंगिक असमानताएं और भेदभाव पैदा होते हैं, उनका अस्तित्व खत्म होगा। भारत में व्यक्तिगत कानून अक्सर महिलाओं के प्रति पक्षपाती होेते हैं। यूसीसी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित करके लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देगा।