उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी पर बसी अनोखी फूलों की घाटी, हर 15 दिन में बदलती है रंग; पर्यटकों के लिए खुली
विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खुल गई है। घाटी में ऑनलाइन पंजीकरण शुरू हो गया है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के अनुसार 15 से 30 जून तक के लिए 62 पंजीकरण हो चुके हैं। घाटी 1 जून से 31 अक्टूबर तक खुली रहेगी जिसमें रात्रि विश्राम की अनुमति नहीं है। पर्यटक घांघरिया के पास हिमखंडों का दीदार कर सकते हैं।
गोपेश्वर। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल फूलों की घाटी आज रविवार को पर्यटकों के लिए खोल दी गई। घाटी में पैदल मार्ग के साथ व्यवस्थागत कार्यों को पहले ही पूर्ण कर दिया गया है। फूलों की घाटी को घांघरिया में एक समारोह में पर्यटकों के लिए खोला गया। खास बात ये है कि यहां हर 15 दिन में खिले फूलों का रंग बदल जाता है।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के प्रभारी प्रभागीय वनाधिकारी तरुण एस का कहना है कि रविवार सुबह सात बजे फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी गई। कहा कि पर्यटकों के लिए मौके पर ही ऑनलाइन पंजीकरण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
अब तक 62 ऑनलाइन पंजीकरण
घाटी का दीदार करने को लेकर अब तक 62 ऑनलाइन पंजीकरण 15 से 30 जून तक के लिए किए गए हैं। फूलों की घाटी खुलने से 14 जून तक कोई भी ऑनलाइन पंजीकरण नहीं हुआ है। हालांकि मौके पर वन विभाग पर्यटकों का ऑनलाइन पंजीकरण करेगी। हेमकुंड यात्रा मार्ग पर आने वाले पर्यटक फूलों की घाटी का दीदार भी करते हैं। वे मौके पर ही पंजीकरण शुल्क जमा कर फूलों की घाटी जाते हैं।
एक जून से 31 अक्टूबर तक खुली रहती है घाटी
विश्व धरोहर फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए एक जून से 31 अक्टूबर तक खुली रहती है। फूलों की घाटी में रात्रि विश्राम की अनुमति किसी को नहीं है। यहां पर खाने की सामग्री की दुकानें भी नहीं हैं। लिहाजा पर्यटक अपने साथ खाने का सामान ले जाते हैं।
इस सामान के साथ जाने वाला कचरा भी वापस पर्यटक को ही लाना होगा। इस बार घांघरिया से फूलों की घाटी तक तीन किमी क्षेत्र में बामणधौड के आस-पास दो हिमखंड का दीदार भी पर्यटकों को खासा आर्कषित करेगा। इन हिमखंडों के बीच से काटकर पैदल रास्ता सुचारु किया गया है।
विदित हो कि 87.5 वर्ग किमी में फैली फूलों की घाटी में पांच सौ से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। कई प्रजाति के फूल खिलने से घाटी का रंग भी हर 15 दिनों में बदलता रहता है। इसे 1982 में राष्ट्रीय पार्क का दर्जा और 2005 में यूनिस्को से विश्व धरोहर का दर्जा मिला। फूलों की घाटी में रंग बिरंगे फूलों के अलावा भोजपत्र का जंगल भी है।
कैंसे पहुंचे?
- फूलों की घाटी के लिए ऋषिकेश से 262 किमी बदरीनाथ हाइवे से चलकर ज्येातिर्मठ के गोविदंघाट तक सड़क मार्ग से पहुचंना पड़ता है।
- गोविंदघाट से 14 किमी पैदल या डंडी कंडी ,घोडे खच्चर से फूलों की घाटी के बेस कैंप घांघरिया पहुंचा जा सकता है।
- इसके अलावा पर्यटकों के लिए गोविंदघाट से घांघरिया तक हेली सेवा भी उपलब्ध है।
इस प्रजाति के रंग बिरंगे फूल खिले हैं घाटी में
- थर्मोप्सिस बरबाटा
- फ्रिटीलेरिया सिर्रोसा (लहसुन जड़ी)
- एनीमोन पॉलीएंथेस
- कैल्था (मार्श मैरीगोल्ड)
- पोटेंटिला (वज्रदंती)
- सेफलैनथेरा लोंगीफोलिया (आर्किड)
- आइरिस कुमाओनेंसिस
- एलियम (फरड)
- पाइकोराइज़ा कुररोआ (कुटकी)
- रोडूडेंड्रॉन एंथोपोगोन ( पीला बुरांश)
- रोडूडेंड्रॉन केमपैनूलेटम ( सफेद बुरांश)
यह है शुल्क
- भारतीय पर्यटकों के लिए प्रति पर्यटक – 200 रुपये
- विदेशी पर्यटकों के लिए -800 रुपये प्रति पर्यटक
- भारतीय 0 से 12 वर्ष आयु के बच्चों के लिए निश्शुल्क
- भारतीय 12 से 18 वर्ष तक के छात्रों के लिए प्रति छात्र 50 रुपये
- भारतीय 18 वर्ष की उम्र से अधिक के छात्रों व सीनियर सिटीजन के लिए प्रति व्यक्ति 100 रुपये