उत्तराखंड

Uttarakhand News: नवरात्र में पिथौरागढ़ के इस मंदिर में दर्शन से पूरी होती है भक्तों की हर मुराद, जानें क्या हैं मान्यताएं?

Uttarakhand Latest News: पिथौरागढ़ के इस मंदिर में नवरात्रि पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यह मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का प्रतीक है.

Pithoragarh News: पिथौरागढ़ (Pithoragarh) जनपद की गंगोलीहाट (Gangolihat) तहसील के रावल गांव में स्थापित मां हाट कालिका (Maa Haat Kalika) का मंदिर श्रद्बालु के लिए अटूट आस्था का प्रतीक है. मान्यता है कि यहां सच्चे भाव से जो भी आता है अपनी मनोकामना जरूर पूरी होती है. यूं तो वर्ष भर यहां भक्त दर्शन के लिए आते हैं पर नवरात्रि में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. उत्तराखंड ही नहीं अन्य प्रदेशों के भक्त भी यहां मां हाट कालिका के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

कुमाऊं रेजिमेंट का है मां पर अटूट विश्वास

मां हाट कालिका माता को सेना की कुमाऊं रेजिमेंट अपनी आराध्य देवी मानती है. कहा जाता है बहुत पहले कुमाऊं रेजिमेंट की एक यूनिट समुद्र मार्ग से कहीं जा रही थी. समुद्री तूफान आने से जहाज डूबने लगा तो जहाज में सवार कुमाऊं रेजिमेंट के जवानों ने मां महाकाली को पुकारा. कहा जाता है कि उसके बाद जहाज समुद्र तट तक सकुशल पहुंच गया. तब से यहां पर कुमाऊं रेजिमेंट मंदिर की देखरेख करने के साथ रेजिमेंट के कुछ जवान मां की सेवा में नियमित रूप से रहते हैं.

 

 

मंदिर में मां का रोज लगता है बिस्तर

कुमाऊं रेजिमेंट ने यहां पर अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ यहां पर गेस्ट हाउस भी बनाया है, जहां भक्तों को रात्रि विश्राम की सुविधा मिलती है. मान्यता है कि मंदिर के अंदर रात्रि भोज के बाद माता का शयनकक्ष में बिस्तर लगाया जाता है और रात्रि में मुख्य द्वार पर ताले लगाए जाते हैं. सुबह की आरती के समय जब पुजारी मंदिर के कपाट खोलते हैं तो बिस्तर सिमटा मिलता है. यह प्रतिदिन देखा जा सकता है. कहा जाता है कि माता प्रतिदिन मंदिर में आती हैं.

 

 

क्या बोले श्रद्धालु

पुजारी दुर्गा दत्त ने बताया नवरात्रि में जो महाकाली के दस दिन महाव्रत रखते हैं और यहां दर्शन के लिए आता है, उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. भिवाड़ी से आए माता के एक भक्त गिरीश चंद्र जोशी ने कहा कि माता की उन पर असीम अनुकंपा है. मुझे जब भी समय मिलता है मैं यहां आता हूं. यहां आकर मुझे बड़ी शांति मिलती है. उन्होंने कहा कि जो भी कार्य यंहा किया जाता है श्रद्बानुसार किया जाता है.

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