उत्तराखंड

मोबाइल फोन की जगह मैंने किताबों की लत लगा ली… और फिर उत्तराखंड बोर्ड में 100 फीसदी अंक

इसी डोपामाइन का असर है कि आजकल ज्यादातर लोग दिनभर सोशल मीडिया में खोए रहते हैं। मैंने इसका इस्तेमाल किताबों के लिए किया। मैंने मोबाइल की जगह किताबों की लत लगा ली थी।

उत्तराखंड बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में सौ फीसदी अंक हासिल करके प्रियांशी रावत स्टार बन गई। प्रियांशी ने मोबाइल से खुद को दूर रखा। मोबाइल को लत मानती हैं, पर साथ ही कहती हैं-लत बड़ी शानदार चीज है। बस ये तो लगाने वाले के हाथ में है कि वह किस चीज की लत लगाता है। इसके लिए डोपामाइन हार्मोन को काबू करना पड़ता है, जो आपके दिमाग को संदेश देता है।

इसी डोपामाइन का असर है कि आजकल ज्यादातर लोग दिनभर सोशल मीडिया में खोए रहते हैं। मैंने इसका इस्तेमाल किताबों के लिए किया। मैंने मोबाइल की जगह किताबों की लत लगा ली थी। मंगलवार को परीक्षा परिणाम आने के बाद गंगोलीहाट में बातचीत करते हुए प्रियांशी ने सफलता के आधार गिनाए।

प्रियांशी ने अकेले मोबाइल फोन से दूरी नहीं बनाई। गांव- मोहल्ले में होने वाले शादी-ब्याह और बर्थडे पार्टी में वह करीब एक साल से शामिल नहीं हुईं। उन्होंने 24 घंटे कोर्स की किताबें नहीं रटीं, लेकिन हर उस चीज से दूरी बनाई जो पढ़ाई के वक्त उनका ध्यान भटका सकती थीं। प्रियांशी और आम बच्चों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है।

वह सुबह पांच से छह बजे के बीच उठती हैं और रात 10 बजे से पहले सो जाती हैं। लेकिन इस बीच चार से पांच घंटे पढ़ाई के तय हैं। लेकिन ये चार से पांच घंटे 365 दिन में कभी टस से मस नहीं हुए। इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उन्होंने खुद में मामूली बदलाव किए। पहला बदलाव था खुद को अधिक से अधिक समय तक अकेले रखना हालांकि इस दौरान उन्होंने 24 घंटे सिर्फ कोर्स की किताबें ही नहीं पढ़ीं।

प्रियांशी भी आम बच्चों की तरह चार-पांच घंटे ही घर पर पढ़ती रहीं । पढ़ाई को मनोरंजक बनाने के लिए उन्होंने छोटे-छोटे हिस्सों में किताबें पढ़ीं और हर हिस्से के बाद खुद के लिए खुद ही पुरस्कार तय किया। कभी आधे घंटे पढ़ाई कर वह अकेले नृत्य कर लेतीं। कभी गाने सुन लेतीं तो कभी गुनगुना लेतीं। ऐसे प्रियांशी की पढ़ाई का हर हिस्सा रोचक होता गया और मंगलवार को इसका सुखद परिणाम आया।

 

राम बनने के बाद मांस खाना छोड़ दिया

बेरीनाग की रामलीला में राम की भूमिका निभाने वाली प्रियांशी कहती हैं कि राम का किरदार मिलने के बाद मैंने मांस खाना छोड़ दिया। तब मुझे अहसास हुआ कि हल्का भोजन शरीर के लिए कितना फायदेमंद है। यहीं से सीख लेते हुए मैंने धीरे-धीरे फास्ट फूड बंद करना शुरू कर दिया था।

कपड़ों से ज्यादा विषय चयन को दिया समय शॉपिंग के शौक पर पूछे सवाल के जवाब में प्रियांशी ने ‘एप्पल’ के फाउंडर स्टीव जॉब्स का जिक्र करते हुए कहा कि वे अक्सर एक ही रंग के कपड़े पहनते थे ताकि अनावश्यक बातों पर ज्यादा समय जाया न हो। यही उन्होंने भी किया। उन्होंने कपड़ों से ज्यादा तवज्जो हमेशा किताबों और अपने विषयों को दी।

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