उत्तराखंडदेहरादून

Uttarakhand: सूख चुकीं दो नदियों को नया जीवन देने की तैयारी…सीएम धामी ने दिए पुनर्जीवीकरण के निर्देश

सीएम धामी ने कहा कि कई परियोजनाओं के निर्माण में जल स्रोतों पर होने वाले दुष्प्रभाव का अध्ययन करने के भी निर्देश दिए। कहा, योजनाओं के निर्माण से प्रभावित होने वाले जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में भी कार्य किए जाएं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जलागम प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों को राज्य में सूख चुकीं दो प्रमुख नदियों को नया जीवन देने की योजना बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में दो नदियां चिह्नित करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री बृहस्पतिवार को जलागम विभाग की समीक्षा कर रहे थे। समीक्षा करने के लिए वह इंदिरानगर स्थित जलागम प्रबंध निदेशालय पहुंचे। मुख्यमंत्री ने वनाग्नि की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में जन सहभागिता से छोटी-छोटी तलैया बनाने के निर्देश दिए। कहा, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के साथ ही लोगों की आजीविका को बढ़ाने की दिशा में जलागम विभाग सक्रिय भूमिका निभाए।

कई परियोजनाओं के निर्माण में जल स्रोतों पर होने वाले दुष्प्रभाव का अध्ययन करने के भी निर्देश दिए। कहा, योजनाओं के निर्माण से प्रभावित होने वाले जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में भी कार्य किए जाएं। जलागम की योजनाओं में वाइब्रेंट विलेज को भी प्राथमिकता दी जाए। बाह्य सहायतित परियोजनाएं निर्धारित समयावधि में पूरी हों। केंद्र सरकार से सहायतित योजनाओं को शीर्ष प्राथमिकता में रखा जाए।

उन्होंने जलागम विकास परियोजनाओं के नियोजन एवं क्रियान्वयन के लिए सतत जल संसाधन प्रबंधन, सतत भूमि एवं पारिस्थतिकी प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण और जैव विविधता संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कार्य करने पर जोर दिया। मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग के साथ मिलकर प्रभावी कदम उठाने को कहा।

बैठक में जलागम प्रबंधन मंत्री सतपाल महाराज, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, जलागम परिषद के उपाध्यक्ष रमेश गढ़िया, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन समेत कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

ग्रीन हाउस गैस कम करने के लिए 1148 करोड़ की योजना

बैठक में बताया गया कि विश्व बैंक पोषित उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना को स्वीकृति मिली है। 1148 करोड़ रुपये की योजना 2024 से 2030 तक संचालित होगी। उत्तराखंड में चयनित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों में पर्वतीय कृषि को लाभदायक बनाना और ग्रीन हाऊस गैस को कम करना योजना का मुख्य उद्देश्य है। इसके तहत स्प्रिंग शेड मैनेजमेंट से जल निकासी एवं मिट्टी के कटाव में कमी लाने, कृषि क्षेत्र में ग्रीन हाऊस गैस को कम करने, बारानी व परती भूमि पर पौधरोपण कर कार्बन की मात्रा में सुधार करने कार्बन फैंसिंग से कृषकों की आय में वृद्धि करने, बारानी एवं सिंचित फसलों की उत्पादकता में वृद्धि, उच्च मूल्य फसल उत्पादन के कृषि क्लस्टरों की स्थापना एवं एग्री बिजनेस ग्रोथ सेंटर की स्थापना के कार्य होंगे।

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