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Waqf Amendment Bill: वक्फ बोर्ड बिल में क्या-क्या है, किसे फायदा, किसे नुकसान.. समझिए पूरी बात

Waqf Bill News: संसद में आज वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। इस विधेयक के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पूरी तरह से तैयार है। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन विधेयक के विरोध में कमर कस चुका है। नंबर के लिहाज से सत्तारूढ़ दल को इस बिल को लेकर कोई टेंशन नहीं है लेकिन विपक्ष भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है।

नई दिल्ली: लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल आज पेश होगा। सदन में 8 घंटे की चर्चा के बाद अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू चर्चा का जवाब देंगे। इसके बाद बिल को पास कराने के लिए वोटिंग होगी। सरकार बिल को बुधवार को ही लोकसभा में पास कराने की तैयारी है। सरकार इसे राज्यसभा में पेश कर वहां से भी पास कराने की तैयारी में जुटी है। वहीं विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है। इस बिल के खिलाफ कई जगह मुस्लिमों ने काली पट्टियां बांधकर ईद की नमाज अदा की। आइए जानते हैं वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में क्या है-

  • वक्फ बिल लाने का सरकार का उद्देश्य क्या है?

8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में दो बिल, वक़्फ़ (संशोधन) बिल, 2024 और मुसलमान वक़्फ़ (निरसन) बिल, 2024 पेश किए गए। इनका मकसद वक्फ बोर्ड के काम को सुव्यवस्थित और वक्फ की प्रॉपर्टीज का बेहतर मैनेजमेंट करना है। वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 का मकसद वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के रेगुलेशन और मैनेजमेंट में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके। संशोधन विधेयक का उद्देश्य देश में वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट में सुधार करना है। इसका मकसद पिछले कानून की खामियों को दूर करना और अधिनियम का नाम बदलने जैसे बदलाव करके वक्फ बोर्डों की कार्यकुशलता को बेहतर करना भी है।

  • भारत में वक्फ मैनेजमेंट के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक निकाय कौन से हैं और उनकी भूमिकाएं क्या हैं?

भारत में वक्फ संपत्तियों का रेगुलेशन वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत किया जाता है। वक्फ मैनेजमेंट में केंद्रीय वक्फ परिषद (सीडब्ल्यूसी), राज्य वक्फ बोर्ड (एसडब्ल्यूबी) और वक्फ ट्रिब्यूनल शामिल हैं। केंद्रीय वक्फ परिषद सरकार और राज्य वक्फ बोर्डों को नीतियों पर सलाह देती है, लेकिन वक्फ संपत्तियों को सीधे नियंत्रित नहीं करती है। जबकि राज्य वक्फ बोर्ड प्रत्येक राज्य में वक्फ संपत्तियों की देखभाल और सुरक्षा करते हैं। वहीं वक्फ ट्रिब्यूनल विशेष न्यायिक निकाय होते हैं, जो वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों को निपटाते हैं।

  • वक्फ बोर्ड से संबंधित मुद्दे क्या हैं?

वक्फ संपत्तियों में बदलाव नहीं करने का नियम विवादित रहा है। ‘एक बार वक्फ, हमेशा वक्फ’ के सिद्धांत ने विवादों को जन्म दिया है। दूसरा, कानूनी विवाद और मिसमैनेजमेंट पर भी सवाल उठते रहे हैं। वक्फ अधिनियम, 1995 और इसका 2013 का संशोधन प्रभावकारी नहीं रहा है जिसकी वजह से वक्फ भूमि पर अवैध कब्ज़ा, कुप्रबंधन और मालिकाना हक का विवाद, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन और सर्वेक्षण में देरी, बड़े पैमाने पर मुकदमों को लेकर चिंताएं जाहिर की जाती रही हैं।

गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अभी तक सर्वेक्षण शुरू नहीं हुआ है। उत्तर प्रदेश में 2014 में आदेशित सर्वेक्षण अभी भी लंबित है। विशेषज्ञता की कमी और राजस्व विभाग के साथ खराब कोर्डिनेशन ने रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को धीमा कर दिया है। कहा जाता है कि कुछ राज्य वक्फ बोर्डों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है, जिसकी वजह से सामुदायिक तनाव पैदा हुआ है। यह भी आरोप है कि निजी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए वक्फ अधिनियम की धारा 40 का दुरुपयोग किया गया है, जिससे कानूनी लड़ाई और अशांति पैदा हुई है।

  • बिल पेश करने से पहले मंत्रालय ने क्या कदम उठाए और स्टेकहोल्डर्स से क्या विचार-विमर्श किए?

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से विचार विमर्श किए, जिसमें सच्चर कमेट की रिपोर्ट, जन प्रतिनिधियों, मीडिया और आम जनता द्वारा कुप्रबंधन, वक्फ अधिनियम की शक्तियों के दुरुपयोग के बारे में जाहिर की चिंताएं शामिल हैं। कानून मंत्रालय ने राज्य वक्फ बोर्डों से भी परामर्श किया। कानून मंत्रालय ने वक्फ अधिनियम, 1995 के प्रावधानों की समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की और स्टेकहोल्डर्स के साथ परामर्श किया। दो बैठकों में प्रभावित स्टेकहोल्डर्स की समस्याओं को सुलझाने के लिए इस अधिनियम में उपयुक्त संशोधन करने के लिए आम सहमति बनी।

  • वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को पेश करने की प्रक्रिया क्या थी?

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और शासन में कमियों को दूर करने के उद्देश्य से 8 अगस्त, 2024 को पेश किया गया था। इसके बाद 9 अगस्त, 2024 को संसद के दोनों सदनों ने विधेयक को एक संयुक्त समिति के पास जांचने और उस पर रिपोर्ट देने के लिए भेजा।

विधेयक के महत्व और इसके व्यापक निहितार्थों को ध्यान में रखते हुए, समिति ने उक्त विधेयक के प्रावधानों पर आम जनता और विशेष रूप से विशेषज्ञों/स्टेकहोल्डर्स और अन्य संबंधित संगठनों से विचार लेने के लिए ज्ञापन आमंत्रित किया था।

संयुक्त संसदीय समिति ने छत्तीस बैठकें कीं, जिसमें उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के प्रतिनिधियों के विचार/सुझाव सुने जैसे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, विधि एवं न्याय, रेलवे (रेलवे बोर्ड), आवास और शहरी मामलों, सड़क परिवहन और राजमार्ग, संस्कृति (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण), राज्य सरकारें, राज्य वक्फ बोर्ड और विशेषज्ञ/हितधारक।

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