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यूपीएस या एनपीएस… कौन सी पेंशन स्‍कीम ज्‍यादा फायदेमंद? जान लें हर एक बात

केंद्र सरकार नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) लागू करने जा रही है, जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) का विकल्प होगी। यूपीएस का ड्राफ्ट तैयार हो रहा है। इसके दिशानिर्देश दिसंबर तक बनेंगे। इसमें कर्मचारियों को 100% फंड निवेश का विकल्प मिलेगा। 31 मार्च तक एनपीएस या यूपीएस चुनना होगा। सरकार का योगदान 18.50% होगा।

नई दिल्‍ली: केंद्र सरकार कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना ला रही है। इसका नाम यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) है। यह नेशनल पेंशन सिस्‍टम (एनपीएस) का विकल्प होगी। यूपीएस का ड्राफ्ट तैयार हो रहा है। दिसंबर तक गाइडलाइन बन जाएगी। कर्मचारियों को 31 मार्च तक एनपीएस या यूपीएस में से क‍िसी एक को चुनना होगा। 1 अप्रैल 2025 से यूपीएस लागू होगी। यूपीएस में कर्मचारी पूरे पेंशन फंड में निवेश कर सकेंगे। रिटायरमेंट पर एकमुश्त राशि नहीं मिलेगी। सरकार अपना अंशदान बढ़ाएगी। एनपीएस से तुलना करें तो यूपीएस में ज्‍यादा पेंशन मिलेगी, लेकिन पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) जितनी नहीं।

केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के लिए पेंशन का नया विकल्प पेश किया है – यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस)। यह मौजूदा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के विकल्प के रूप में काम करेगी। इस नई योजना का मकसद कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद बेहतर वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।

कब तक म‍िलेगा चुनने का व‍िकल्‍प?

यूपीएस का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है, जिसके आधार पर अंतिम गाइडलाइन बनाई जाएगी। यह गाइडलाइन दिसंबर तक तैयार हो जाने की उम्मीद है। इसके बाद कर्मचारियों को 31 मार्च तक एनपीएस और यूपीएस में से किसी एक विकल्प को चुनना होगा। नई योजना यूपीएस 1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाएगी।

नई स्‍कीम को क्‍या चीजें बनाती हैं खास?

यूपीएस की एक खास बात यह है कि इसमें कर्मचारियों को अपने फंड में जमा 100% राशि निवेश करने का विकल्प मिलेगा। एनपीएस में कर्मचारी सरकार की ओर से सुझाए गए 12 सर्विस प्रोवाइडर के जरिये 50% राशि तक ही निवेश कर सकते हैं।

यूपीएस में केंद्रीय कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय एकमुश्त राशि निकालने का विकल्प नहीं होगा। यानी उनके फंड में जमा पूरी राशि का उपयोग पेंशन बनाने में किया जाएगा। एनपीएस में कर्मचारी को रिटायरमेंट के समय 60% राशि मिलती है। बाकी 40% राशि से पेंशन बनती है।

यूपीएस में सरकार अपना अंशदान भी बढ़ाएगी। एनपीएस में सरकार 14% योगदान देती है। जबकि यूपीएस में यह बढ़कर 18.50% हो जाएगा। कर्मचारी का योगदान 10% ही रहेगा। इस प्रकार एनपीएस में कुल 24% राशि जमा होती है। जबकि यूपीएस में यह 28.50% हो जाएगी।

एक्‍सपर्ट्स क‍िसे बता रहे हैं बेहतर?

हालांकि, पेंशन फंड में केवल 20% राशि ही जाएगी। बाकी 8.50% राशि एक अलग पूल में जमा होगी। इस राशि का उपयोग कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय उसकी पेंशन में 50% की कमी होने पर किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि कर्मचारी को कम से कम अपने अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिले।

विशेषज्ञों का मानना है कि पेंशन के विकल्प के तौर पर यूपीएस एनपीएस से बेहतर है। यूपीएस में पेंशन की राशि बढ़ सकती है। जबकि एनपीएस में यह अनिश्चित होती है। हालांकि, यह पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) जितनी अच्छी नहीं है।

यूपीएस में 8.50% की पूल राशि का इस्‍तेमाल कब?

यदि एन्युटी में जमा राशि से बनने वाली पेंशन कर्मचारी के अंतिम वेतन के 50% से कम होती है तो इस पूल राशि का उपयोग किया जाएगा। उदाहरण के लिए अगर किसी कर्मचारी का अंतिम वेतन एक लाख रुपये है और एन्युटी से बनने वाली पेंशन 46,000 रुपये है तो शेष 4,000 रुपये पूल फंड से दिए जाएंगे।

कर्मचारी की मौत के बाद उसकी पत्नी को पेंशन दी जाती है। यदि पत्नी एकमुश्त राशि लेना चाहती है तो उसे पूल फंड की राशि मिल जाएगी। वह अगर पेंशन लेना चाहती है तो उसे यह राशि नहीं मिलेगी। पत्नी की मृत्यु के बाद पूल फंड में जमा पूरी राशि आश्रित को मिल जाएगी, लेकिन उसे पेंशन नहीं मिलेगी। यह व्यवस्था एनपीएस में भी है।

कुल मिलाकर यूपीएस एनपीएस का एक बेहतर विकल्प है, जो कर्मचारियों को अधिक पेंशन और निवेश का लचीलापन प्रदान करता है। हालांकि, यह ओपीएस जितना अच्छा नहीं है। कर्मचारियों को अपनी जरूरतों और वित्तीय स्थिति के अनुसार एनपीएस और यूपीएस में से किसी एक विकल्प को चुनना चाहिए।

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