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Basant Panchami 2025: आखिर क्यों इतना खास होता है वसंत पंचमी का पर्व, जानिए पौराणिक और धार्मिक मान्यताएं

Basant Panchami 2025: वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा विशेष रूप से विद्यार्थी और कलाकार करते हैं। यह दिन विद्यार्थियों के लिए शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन मां सरस्वती से ज्ञान, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।

Basant Panchami 2025: वसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व न केवल वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, बल्कि विद्या, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा का विशेष दिन भी है। इस दिन को भारतवर्ष में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। इस दिन कई स्थानों पर पतंगबाजी की जाती है। भारत के विभिन्न हिस्सों में यह पर्व अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे- पंजाब में यह दिन ‘सरसों का त्योहार’ कहलाता है, जबकि बंगाल और असम में इसे ‘सरस्वती पूजा’ के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन इसके पीछे छिपी पौराणिक कथाएं और धार्मिक मान्यताएं इसे और भी विशेष बनाती हैं।

पौराणिक रहस्य

वसंत पंचमी का सीधा संबंध माता सरस्वती से है। पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि की रचना के समय भगवान ब्रह्मा ने मनुष्यों की सृष्टि की, लेकिन उन्हें यह देखकर निराशा हुई कि सृष्टि में जीवन तो है, परंतु वह नीरस और मौन है। तब भगवान ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छिड़का और एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुई। वह शक्ति देवी सरस्वती के रूप में अवतरित हुईं, जो हाथों में वीणा, पुस्तक और माला लिए थीं। देवी सरस्वती ने वीणा के तार छेड़े, जिससे सृष्टि में मधुर ध्वनि और जीवन का संचार हुआ। तभी से देवी सरस्वती को ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है और उनकी पूजा के लिए वसंत पंचमी का दिन तय किया गया।

धार्मिक मान्यताएं

विद्या और ज्ञान का महत्व

वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा विशेष रूप से विद्यार्थी और कलाकार करते हैं। यह दिन विद्यार्थियों के लिए शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन मां सरस्वती से ज्ञान, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। छोटे बच्चों को इस दिन अक्षर ज्ञान भी कराया जाता है, जिसे ‘विद्यारंभ’ कहा जाता है।

प्रकृति का उत्सव

इस पर्व को वसंत ऋतु के स्वागत के रूप में भी मनाया जाता है। माघ महीने से शीत ऋतु समाप्त होने लगती है और प्रकृति में नई ऊर्जा का संचार होता है। खेतों में सरसों के फूल खिलते हैं, जो वसंत पंचमी के प्रतीक रंग पीले को दर्शाते हैं। इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं और पीले रंग का भोजन, जैसे-खिचड़ी और हलवा बनाते हैं।

कामदेव और रति की पूजा

पौराणिक कथा के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन कामदेव ने अपनी पत्नी रति के साथ भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के लिए प्रयास किया था। इसे प्रेम और सौंदर्य के उत्सव के रूप में भी देखा जाता है।

मां सरस्वती की विशेष पूजा

इस दिन पूजा में देवी सरस्वती को सफेद फूल, पीले वस्त्र, सफेद तिल और मधुर संगीत अर्पित किया जाता है। मां सरस्वती के चरणों में वीणा और पुस्तक रखना भी शुभ माना जाता है।

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